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Thursday, October 29, 2009

कौन है रे हरि तू? ... साँप है या वानर है कि विष्णु है या साक्षात् यमराज!

मैं यमराज भी हूँ और विष्णु भी, पवन भी हूँ और इन्द्र भी, अगर तोता हूँ तो मेढक भी हूँ और सिंह हूँ तो घोड़ा भी।

जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ हरि की। हरि याने कि हिन्दी का एक शब्द! हरि शब्द तो एक है पर आपको शायद ही पता हो कि इसके कितने अर्थ हैं। संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार हरि शब्द के अर्थ हैं

यमराज, पवन, इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, विष्णु, सिंह, किरण, घोड़ा, तोता, सांप, वानर और मेढक

उपरोक्त अर्थ तो अमरकोष से है और अमरकोष में ही बताया गया है कि विश्वकोष में कहा गया है कि वायु, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, यम, उपेन्द्र (वामन), किरण, सिंह घोड़ा, मेढक, सर्प, शुक्र और लोकान्तर को 'हरि' कहते हैं।

देखें अमरकोष के पृष्ठ का स्कैन किया गया चित्र


यमक अलंकार से युक्त एक दोहा याद आ रहा है जिसमें हरि शब्द के तीन अर्थ हैं

हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥
(अज्ञात)

पूरे दोहे का अर्थ हैः

मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

तो ऐसी समृद्ध भाषा है हमारी मातृभाषा हिन्दी! इस पर हम जितना गर्व करें कम है!!

चलते-चलते

डॉ. सरोजिनी प्रीतम की एक हँसिकाः

क्रुद्ध बॉस से
बोली घिघिया कर
माफ कर दीजिये सर
सुबह लेट आई थी
कम्पन्सेट कर जाऊँगी
बुरा न माने गर
शाम को 'लेट' जाऊँगी।

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ऋषि भरद्वाज के आश्रम में- अयोध्याकाण्ड (15)