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Saturday, October 31, 2009

विष्णु तथा सूर्य के अनेक नामों को जानें

हरि शब्द के अर्थों को आपने "कौन है रे हरि तू? ... साँप है या वानर है कि विष्णु है या साक्षात् यमराज!" पोस्ट में जाना, विष्णु तथा सूर्य के अनेक नामों को भी जानें।

अमरकोष के अनुसार भगवान विष्णु के निम्न नाम हैं:

  • विष्णु
  • नारायण
  • कृष्ण
  • वैकुण्ठ (या बैकुण्ठ)
  • दामोदर
  • हृषीकेश
  • केशव
  • माधव
  • दैत्यारि
  • पुण्डरीकाक्ष
  • गोविन्द
  • गरुड़ध्वज
  • पीताम्बर
  • अच्युत
  • जनार्दन
  • उपेन्द्र
  • चक्रपाणि
  • चतुर्भुज
  • पद्मनाभ
  • मधुरिपु
  • वासुदेव
  • त्रिविक्रम
  • देवकीनन्दन
  • श्रीपति
  • पुरुषोत्तम
  • वनमाली
  • विश्वम्भर
ग्रंथ अमरकोष के अनुसार सूर्य के निम्न नाम हैं:

  • सूर
  • सूर्य
  • अर्यमा
  • आदित्य
  • द्वादशात्मा
  • दिवाकर
  • भास्कर
  • अहस्कर
  • ब्रध्न
  • प्रभाकर
  • विभाकर
  • भास्वान
  • विवस्वान
  • सप्ताश्व
  • हरिदश्व
  • उष्णरश्मि
  • विकर्तन
  • अर्क
  • मार्तण्ड
  • मिहित
  • अरुण
  • पूषा
  • द्युमणि
  • तरणि
  • मित्त्र मित्र
  • चित्रभानु
  • विरोचन
  • विभावसु
  • ग्रहपति
  • त्विषांपति
  • अहर्पति
  • भानु
  • हंस
  • सहस्त्रांशु
  • तपन
  • सविता
  • रवि

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

राजा दशरथ की मृत्यु - अयोध्याकाण्ड (20)

Thursday, October 29, 2009

कौन है रे हरि तू? ... साँप है या वानर है कि विष्णु है या साक्षात् यमराज!

मैं यमराज भी हूँ और विष्णु भी, पवन भी हूँ और इन्द्र भी, अगर तोता हूँ तो मेढक भी हूँ और सिंह हूँ तो घोड़ा भी।

जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ हरि की। हरि याने कि हिन्दी का एक शब्द! हरि शब्द तो एक है पर आपको शायद ही पता हो कि इसके कितने अर्थ हैं। संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार हरि शब्द के अर्थ हैं

यमराज, पवन, इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, विष्णु, सिंह, किरण, घोड़ा, तोता, सांप, वानर और मेढक

उपरोक्त अर्थ तो अमरकोष से है और अमरकोष में ही बताया गया है कि विश्वकोष में कहा गया है कि वायु, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, यम, उपेन्द्र (वामन), किरण, सिंह घोड़ा, मेढक, सर्प, शुक्र और लोकान्तर को 'हरि' कहते हैं।

देखें अमरकोष के पृष्ठ का स्कैन किया गया चित्र


यमक अलंकार से युक्त एक दोहा याद आ रहा है जिसमें हरि शब्द के तीन अर्थ हैं

हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥
(अज्ञात)

पूरे दोहे का अर्थ हैः

मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

तो ऐसी समृद्ध भाषा है हमारी मातृभाषा हिन्दी! इस पर हम जितना गर्व करें कम है!!

चलते-चलते

डॉ. सरोजिनी प्रीतम की एक हँसिकाः

क्रुद्ध बॉस से
बोली घिघिया कर
माफ कर दीजिये सर
सुबह लेट आई थी
कम्पन्सेट कर जाऊँगी
बुरा न माने गर
शाम को 'लेट' जाऊँगी।

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ऋषि भरद्वाज के आश्रम में- अयोध्याकाण्ड (15)