Sunday, December 12, 2010

सौ साल पहले चाँवल और गेहूँ के दाम

यह जानना कि आज से सौ साल पहले याने कि सन् 1910 में अनाजों के दाम क्या थे क्या आपको रोचक नहीं लगेगा? यहाँ प्रस्तुत है आज से सौ साल पहले विभिन्न प्रान्तों के प्रमुख नगरों के अनुसार चाँवल गेहूँ इत्यादि अनाजों के औसत दामः

सन् 1910 में चाँवल के औसत दामः

कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में - रु.4.890 = (लगभग) 4 रुपये 14 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 2 आना 0 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.13 प्रति कि.ग्रा.

बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में - रु.4.396 = (लगभग) 4 रुपये 06 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 3 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.11 प्रति कि.ग्रा.

दिल्ली में - रु.5.714 = (लगभग) 5 रुपये 11 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 2 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.14 प्रति कि.ग्रा.

इलाहाबाद (तत्कालीन यूनाइटेड प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) में - रु.4.405 = (लगभग) 4 रुपये 6 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 3 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.11 प्रति कि.ग्रा.

पटना (तत्कालीन बिहार तथा उड़ीसा प्रान्त का प्रमुख शहर) में - रु.3.150 = (लगभग) 3 रुपये 2 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा.

नागपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस की राजधानी) - में रु.3.559 = (लगभग) 3 रुपये 9 आना 0 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

रायपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) में - रु.3.370 = (लगभग) 3 रुपये 6 आना 0 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

जबलपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) - में रु.3.524 = (लगभग) 3 रुपये 8 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

मद्रास (तत्कालीन मद्रास प्रान्त की राजधानी) में - रु.5.391 = (लगभग) 5 रुपये 6 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 2 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा

सन् 1910 में गेहूँ के औसत दामः

कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में - रु.3.953 = (लगभग) 3 रुपये 15 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में - रु.5.882 = (लगभग) 5 रुपये 14 आना 0 पैसा प्रति मन = (लगभग) 2 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.14 प्रति कि.ग्रा.

दिल्ली में - रु.3.413 = (लगभग) 3 रुपये 06 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा.

इलाहाबाद (तत्कालीन यूनाइटेड प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) में - रु.3.941 = (लगभग) 3 रुपये 15 आना 0 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

पटना (तत्कालीन बिहार तथा उड़ीसा प्रान्त का प्रमुख शहर) में - रु.3.249 = (लगभग) 3 रुपये 4 आना 0 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा.

नागपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस की राजधानी) में - रु.3.347 = (लगभग) 3 रुपये 5 आना 2 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा.

रायपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) - में रु.3.387 = (लगभग) 3 रुपये 6 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 1 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.08 प्रति कि.ग्रा.

जबलपुर (तत्कालीन सेंट्रल प्राव्हिंसेस का प्रमुख शहर) - में रु.3.460 = (लगभग) 3 रुपये 7 आना 1 पैसा प्रति मन = (लगभग) 1 आना 2 पैसा प्रति सेर = (आज के हिसाब से लगभग) रु.0.09 प्रति कि.ग्रा.

मद्रास (तत्कालीन मद्रास प्रान्त की राजधानी) में - आँकड़ा उपलब्ध नहीं

(मूल आँकड़े डिजिटल साउथ एशिया लाइब्रेरी से साभार)

उपरोक्त आँकड़ों से स्पष्ट है कि आज से सौ साल पहले और आज के चाँवल और गेहूँ के दामों में लगभग साढ़े तीन सौ गुना अन्तर है।

10 comments:

राज भाटिय़ा said...

उस जमाने मै बेईमानो की संख्या भी आज के मुकाबले कम थी, ओर बेईमान मुंह छुपा कर निकलते थे, आज लाल बती को लगा कर शान से निकलते हे

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही रोचक जानकारी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

रोचक जानकारी ....

तब लोंग १० रुपये में महीने का खर्च चला लिया करते थे ...उनकी आय भी उसी हिसाब से होती थी ....

१९७६ में अरहर की दाल १.८० रूपये किलो थी ...मेरे घर का महीने का खर्च ५०० रूपये में हो जाता था ..

आप तो १०० साल पुरानी बात कर रहे हैं ...

P.N. Subramanian said...

रोचक जानकारी. जबलपुर के अभिलेखागार में एक जिल्द चढ़ी फाईल देखी, १९३२ की. "मुख्यालय से प्राप्त पात्र". जबलपुर से चिट्ठी निकली १४ तारीख को (जिसका उनके पात्र में उल्लेख था), वहां से १५ तारीख को चिट्ठी का उत्तर दिया गया जो जबलपुर में १६ तारीख को (उसी महीने!) प्राप्त हुआ. मुद्रांक लगे थे. ऐसी ही बहुत सारी कौतूहल भरी बातों का पता चला था.

Rahul Singh said...

आपकी संदर्भ दृष्टि और उद्यम बार-बार चौंकाता है.

शरद कोकास said...

आज से सौ साल बाद इसे पढेंगे तो यकीन ही नही होगा ।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आदमी की कीमत क्या थी...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

और उसकी जुबान की भी..

Swarajya karun said...

काश ! हम भी उस ज़माने में पैदा हुए होते ! कम-से-कम आज की ज़ालिम महंगाई का यह तांडव-नाच तो नहीं देखना और नहीं झेलना पड़ता ! काश !ऐसी टाईम-मशीन ज़ल्द आ जाए , जिसमे बैठकर हम उन बीते हुए ज़मानों में लौट सकें ! सुना है, वैज्ञानिक इसकी खोज में लगे हुए हैं,लेकिन फिलहाल तो हम ये गुनगुनाने को मजबूर हैं कि कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ! महंगाई के इस भयानक दौर में सस्ते जमाने की याद दिला कर आपने हमें हिला कर रख दिया है. मन ललचा कर सौ साल पीछे भागने ही वाला है.

Unknown said...

कोई लौटा दे बीते हुए दिन !